BA PART2 (HINDI 1 paper) GUESS QUESTIONS ❓2023

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BA PART2 (HINDI 1 paper) GUESS QUESTIONS ❓2023



प्रश्न 1

क )

देख-देख राधा-रूप अपार । अपरूब के बिहि आनि मिलाओल खिति तल लाबनि-सार । अंगहि अंग अनंग मुरछायत हेरए पड़ए अथीर। मनमथ कोटि मथन करु जे जन से हेरि महि मधि गीर । कत-कत लखिमी चरण-तल नेओछए रंगिनि हेरि विभोरि । करु अभिलाख मनहि पद पंकज अहोनिसि कोर अगोरि ।

ख)

सखि हे हमर दुखक नहि ओर। ई भर बादर माह भादर, सून मंदिर मोर ।। झंपि घन गरजति संतत, भुवन भरि बरसंतिया ।कन्त पाहुन काम दारुन, सघन खर सर हंतिया ।। कुलिस कत सत पात मुदित, मयूर नाचत मातिया । मत्त दादुर डाक डाहुक फारि जायत छातिया । । तिमिर दिग भरि घोर जामिनि अथिर बिजुरिक पाँतिया । विद्यापति कह कइसे गमाओब, हरि बिना दिन रातिया । ।

ग)

दुलहिनी गावहु मंगलचार। हंम परि आए राजा राम भरतार | टेक।। तन रत करि मैं मन रति करिहौं पांच तत्त बराती । राम देव मोरै पाहुने आए मैं जोवन मँमाती ॥ १ ॥ सरीर सरोबर बेदी करिहौं ब्रह्मा बेद उचारा। राम देव संगि भांवरि लेहहाँ धनि धनि भाग हमारा || २ 


घ )

संतौ भाई आई ग्यांन की आंधी रे।

भ्रम की टाटी सधै उड़ांनीं माया रहै न बांधी रे।।टेक।। दुचिते की की दोइ थूनि गिरांनी मोह बलेंडा टूटा। दोइ थूनि त्रिसनां छांनि परी घर ऊपरि दुरमति भांडा फूटा ॥१॥ आंधी पाछें जो जल बरसै तिहिं तेरा जन भीनां । 17 कहै कबीर मनि भया प्रगासा उदै भानु जब चीनां (न्हां? ) ।।२।।



रांम नांम कै पत्तराई, देब कौ कछु नाही।
 लै गुर संतोखिए, हौंस रही मन माहीं।
मन सतगुर सवां न को इ. सगा, सोधी सई न दाति । हरि जी सवां न को इइ. हितू हरिजन सई न जाति । । २ । । चौंसठ दीवा जोइ करि, चौदह चंदा मांहिं। जतिहिं घरि किसकौ चांदिनौं, जिहिं घरि सतगुर नांहिं ॥ ३ ॥

च)

अब कैं राखि लेहु भगवान ।

17. , हौं अनाथ बैठ्यो दुम-डरिया, पारधि साधे बान ।। ताकेँ डर मैं भाज्यौ चाहत, ऊपर ढुक्यौ सचान । दुहूँ भाँति दुख भयौ आनि यह, कौन उबारै प्रान? सुमिरत ही अहि डस्यौ पारधी, कर छुट्यौ संधान 'सूरदास' सर लग्यौ सचानहिं, जय जय कृपानिधान ।।

छ)
अब मैं नाच्यो बहुत गुपाल।
काम क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ विषय की माल ।। महामोह के नूपुर बाजत, निंदा - सब्द-रसाल। भ्रम-भोयौ मन भयौ पखावज, चलत असंगत चाल ।।
तृष्ना नाद करति घट भीतर, नाना विधि दै ताल। माया को कटि फेंटा बाँध्यौ, लोभ तिलक दियौ भाल।। कोटिक कला काछि दिखराई जल-थल सुधि नहिं काल । 'सूरदास' की सबै अविद्या दूर करौ नँदलाल ।।

ज )


चित्रकूट में ज्ञान सभा

गुरु पद कमल प्रना कर बैठे आसु पाइ विप्र महाजन सचिव सब जुरे सभासद आह बोले मुनिवरु समय समाना सुन सभासद भरत सुजाना। 19 धरम पुरीन भानुकुल भानू राजा रामू स्ववस भगवान्।। सत्यसंघ पालक बुति सेतू। राम जन्मू जग मंगल हेतू।। गुर पितु मातु वचन अनुसारी। खल दल दलन देव हितकारी नीति प्रीति परमारथ स्वारथ को न राम राम जान जधार ।। विधि हरि हरु ससि रवि दिसिपाला माया जीव करम कुलिकाला अहिम महिप जहँ लगि प्रभुताई। जोग सिद्धि निगमागम गाई ।। करि विचार जि देख नीके। राम रजाइ सीस सबही ।।


झ )

नागमती का वियोग वर्णन

चढ़ा असाढ़ गैंगन घन गाजा । साजा बिरह दुंद दल बाजा। ग्रूम स्याम खरग बीज धीरे घन थाए। सेत धुजा बग पाँति देखाए । चमकै चहुँ ओरा। बुंद बान बरिसै घन घोरा। अद्रा लाग बीज भुई लेई मोहिं पिय बिनु को आदर देई।
ओनै घटाआई चहुँ फेरी कंत उबारु मदन हाउ घेरी ।
दादुर मोर कोकिला पीऊ। करहिं बेझ घट रहे न जीऊ।
पुख नछत्र सिर ऊपर आवा। हाँ बिनु नाँह मंदिर को छावा ।
जिन्ह घर कंता ते सुखी तिन्ह गारौँ तिन्ह गर्न ।


कुहुक कुहुक जसि कोइलि रोई। रकत आँसु घुँघची बन बोई। पै करमुखी नैन तन राती को सिराव बिरहा दुख ताती। जहँ जहँ ठाढ़ि होइ बनवासी। तहँ तहँ होइ घुघचिन्ह के रासी । बुंद बुंद महँ जानहुँ जीऊ। गुंजा गुजि करहिं पिठ पौऊ। तेहिं दुख हे परास निपाते। लोहू बूड़ि उठे परभाते। राते बिंब भए तेहि लोहू । परवर फाट हिय गोहूँ। देखिअ जहाँ सोइ होइ राता । जहाँ सो रतन कहै को बाता। ओहि देसरा हेवंत बसंत।।7 आवहि कंत ।। १९।।

त)


कीनैं हूँ कोरिक जतन अब कहि काढ़े कौनु ।| मोहन-रूप मिलि पानी मैं की लौ ।।३। 

अज तयौना ही रह्यौ श्रुति सेवक इक-रंग नाक बास बेसरि लह्यौ बसि मुकुतनु कैं संग।।४।

कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात । भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात ।। ८ ।। नेहु न नैननु कौं कछू उपजी बड़ी बलाइ । ' 19 नीर-भरे नितप्रति रहैं, तऊ न प्यास बुझाइ ॥ ९ ॥

नहिं परागु, नहिं मधुर मधु, नहिं बिकासु इहिं काल । अली, कली ही सौं बँध्यौ, आगें कौन हवाल ।। १० ।।

अंग-अंग नग जगमगत दीपसिखा सी देह |दिया पत्रा ही बढ़ाएँ तिथि हूँ रहै पाइयै वा रहै उज्यारौ के गेह।।१७। 

पास। नितप्रति पून्यौई बड़ो घर चहुँ आनन-ओप-उजास ।। १८


थ)

हीन भये जलमीन अधीन कहा कटु मो अकुलानि समानै । नीर सनेही कों लाय कलंक, निरास है कायर त्यागत प्रानै । प्रीति की रीति सु क्यों समझे जड़, मीत के पानि परै कों प्रमानै।या मन रकी जु दसा घनआनँद जीव की जीवनि जान ही जाने ||४||

द)

पहलें अपनाय सुजान सनेह सों क्यों फिरि तेह के तोरियै जू।निरधार अधार दै धार-मँझार दई गहि बाँह न बोरियै जू। घनआनँद आपने चातिक कों गुन- बांधिलै मोह न छोरियै जू। रस प्यास कै ज्याय बढ़ाय कै आस विसास मैं याँ विष घोरियौ जू।। ९ ।।

प्रश्न 2


प्रश्न 2. हिन्दी गीति काव्य परम्परा (मुक्तक काव्य परम्परा) में विद्यापति का स्थान निर्धारित कीजिए तथा उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

 अथवा 

भाव तथा कलापक्ष की दृष्टि से विद्यापति के काव्य का मूल्यांकन कीजिए।

 अथवा

 विद्यापति की काव्य भाषा (काव्यगत विशेषताओं/काव्य सौष्ठव) का वर्णन कीजिए।..

अथवा

 विद्यापति के काव्य का कलात्मक वैशिष्टय निर्धारित कीजिए।

 अथवा 

गीतिकाव्य परम्परा में विद्यापति की कविता (काव्य) का क्या महत्त्व है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।



प्रश्न 3



विद्यापति भक्त हैं अथवा श्रृंगारी कवि।' सोदाहरण स्पष्ट कीजिए ।

अथवा

सिद्ध कीजिए विद्यापति के काव्य में भक्ति और शृंगार दोनों प्रवृत्तियों के साथ-साथ विद्यमान है।

अथवा 

"विद्यापति शृंगार प्रधान भावुक भक्ति कवि हैं।" इस कथन के परिप्रेक्ष्य में उनकी भक्ति भावना का वर्णन कीजिए।



अथवा

“विद्याप्ति के काव्य में भक्ति एवं श्रृंगार दोनों पदों का वर्णन मिलता है।" इस कथन

के आलोक में उनकी काव्य प्रतिभा का मल्यांकन कीजिए।

प्रश्न कबीर की निर्गुण भक्ति साधना पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।

अथवा

 कबीर के निर्गुण भक्ति का निरूपण कीजिए। 

अथवा

 निर्गुण भक्त के रूप में, कबीर की भक्ति भावना का मुल्यांकन कीजिए।

अथवा 

प्रश्न  3  बिहारी रीतिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं- इस कथन का आशय स्पष्ट करते हुए बिहारी के काव्य का मूल्यांकन कीजिए।

 'बिहारी रीति कील के सबसे अधिक लोकप्रिय कवि हैं।' इस कथन के आलोक उनके काव्यगत विशेषताओं का मूल्यांकन कीजिए। 

 अथवा


बिहारी के काव्य सौष्ठव पर एक विवेचनात्मक निबन्ध लिखिए।

 अथवा भाव पक्ष एवं कला पक्ष की दृष्टि से बिहारी के काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। 

अथवा 

बिहारी के काव्य में संयोग एवं वियोग (विप्रलम्भ) शृंगार का सुन्दर प्रयोग हुआ है। इस कथन की तर्क सहित विवेचना कीजिए।

 अथवा
 बिहारी की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनकी लोकप्रियता के कारणों को इंगित कीजिए। बिहारी रीतिकाल के श्रेष्ठ श्रृंगारिक कवि हैं, इस आशय को स्पष्ट कीजिए।

Que 4 घनानन्द के काव्य सौन्दर्य एवं कलात्मक वैशिष्ट्य का वर्णन कीजिए। 

अथवा

 घनानन्द ने काव्य वस्तु की भाँति ही शिल्प के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई "है।" इस कथन के आलोक में घनानन्द के काव्य-शिल्प की विवेचना कीजिए। 

अथवा

 घनानन्द के कथ्य एवं काव्य के आधार पर उनके विरह वर्णन एवं प्रेम व्यंजना की सोदाहरण समीक्षा कीजिए।

अथवा

 'प्रेम और पीर की रचनात्मक अभिव्यक्ति ही घनानन्द की कविता है इस कथन की समीक्षात्मक विवचना कीजिए। "

अथवा

नई परिकल्पना और उक्ति-सौन्दर्य का एक घना रिस्ता घनानन्द के काव्य में परिलक्षित होता है।" उक्त कथन के आधार पर घनानन्द के काव्य शिल्प पर प्रकाश डालिए।

प्रश्न 5  पद्मावत के काव्य सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। 

अथवा 

जायसी के काव्य का काव्य सौन्दर्य भावपक्ष (अनुभूति पक्ष) के आधार पर निरूपण कीजिए।

अथवा 

जायसी के काव्य की काव्यगत पूर्व मायागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।

अथवा

 "पद्मावत के संयोग और वियोग श्रृंगार की सजीवता में किसी भी सहृदय को विभोर करने की पर्याप्त क्षमता है।" इस कथन की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।


Que 6 सूर का वियोग वर्णन हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। इस कथन का तर्क सहित विवेचना कीजिए। 


अथवा

 सूर का विरह वर्णन (वियोग वर्णन) अत्यन्त ही मर्मस्पर्शी बन पड़ा है। इस पर एक समीक्षात्मक लेख लिखिए।


 Que 7 

रामचरितमानस के अयोध्या काण्ड के आधार पर तुलसी की दृष्टि विचार कीजिए।

अथवा

रामचरित मानस' के आधार पर तुलसीदास के 'लोकमंगल' की चेतना पर विचार कीजिये।

'मीरों के काव्य में स्त्री जीवन के दुःख और उससे संघर्ष की अभिव्यक्ति है- इस कथन के आलोक में मीरा का मूल्यांकन कीजिए।


अथवा


Que 8 मीरा की कविता में भक्ति भावना और स्त्री चेतना दोनों समाहित हैं इस पर प्रकाश डालिए।

अथवा


नीरा का दुःख उनका निजी दुःख नहीं, पूरी स्त्री जाति का दुःख है उनकी कविताओं के आधार पर इस कथन की विवेचना कीजिये।


प्रश्न 5 (टिप्पणियां) 

विद्यापति की श्रृंगार चेतना सुंदर दृश्य



कबीर की भाषा

कबीर की सामाजिक चेतना एवं रहस्यवादी भावना

जायसी का रहस्यवाद

मीरा की विद्रोही चेतना

बिहारी का काव्य प्रतिभा

घनानंद की विरह अनुभूति एवं प्रेम की पीर


सूरदास की भक्ति भावना





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